भारतीय सेना में मुस्लिम रेजिमेंट का सच: फ़ैक्ट चेक
भारतीय सेना में आर्म्स और सर्विसेज़ कॉर्प्स के अलावा सैकड़ों अलग-अलग रेजिमेंट्स हैं. इन रेजिमेंट्स में से इन्फ़ेंट्री की कई रेजिमेंट्स की परेड हम गणतंत्र दिवस पर राजपथ पर देखते रहे हैं.
इन्फ़ेंट्री हथियारबंद पैदल सैनिकों के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द है. भारतीय सेना की इन्फ़ेंट्री में सिख, गढ़वाल, कुमाऊं, जाट, महार, गोरखा, राजपूत समेत 31 रेजिमेंट हैं.
इसकी चर्चा यहां पर इसलिए हो रही है क्योंकि एक रेजिमेंट की चर्चा सोशल मीडिया पर ज़ोर-शोर से हो रही है.
क्या है मामला
दरअसल, फ़ेसबुक और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर लगातार यह संदेश वायरल हो रहा है कि भारतीय सेना की मुस्लिम रेजिमेंट ने 1965 की लड़ाई में पाकिस्तान से युद्ध लड़ने से मना कर दिया था.
क्या है सच
मेजर जनरल (रिटायर्ड) शशि अस्थाना मुस्लिम रेजिमेंट के दावे को ख़ारिज करते हुए कहते हैं कि सेना में कभी भी मुस्लिम रेजिमेंट नाम की कोई रेजिमेंट थी ही नहीं.
वो कहते हैं कि जाति और नस्ल के आधार पर रेजिमेंट या तो ब्रिटिश काल में बनाई गईं या ये वो सेनाएं थीं जो एक रियासत की सेना के रूप में काम किया करती थीं, जैसे कि जम्मू-कश्मीर लाइड इन्फ़ेंट्री रेजिमेंट. यह रेजिमेंट जम्मू-कश्मीर रियासत की सेना थी.
वो कहते हैं, "भारत की स्वतंत्रता के बाद इन रेजिमेंट को उन्हीं नामों से ही बरक़रार रखा गया. इसका मतलब यह नहीं है कि सेना जातिवाद या सांप्रदायिकता को बढ़ावा देना चाहती है बल्कि यह इतिहास को संजोकर रखा गया है."
रेजिमेंट का अपना एक इतिहास रहा है, भारतीय सेना में मद्रास रेजिमेंट 200 साल से भी अधिक पुरानी है और कुमाऊं रेजिमेंट ने तो दोनों विश्व युद्धों में भाग लिया था.
लेफ़्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) सैयद अता हसनैन मुस्लिम रेजिमेंट के दावों पर कहते हैं कि यह प्रोपेगैंडा है और भारतीय सेना में पिछले 200 साल से भी मुस्लिम रेजिमेंट नहीं थी.
वो कहते हैं, "ब्रिटिश इंडियन आर्मी में सिख, पंजाब, गढ़वाल जैसी रेजिमेंट के अलावा बलोच और फ्रंटियर फ़ोर्स रेजिमेंट भी थीं, बंटवारे के बाद बलोच और फ़्रंटियर रेजिमेंट पाकिस्तान में चली गईं और पंजाब रेजिमेंट पाकिस्तान में भी है और भारत में भी है."
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सेना में मुसलमान?
भारतीय सेना में कुल कितने मुसलमान हैं, इसका कोई आधिकारिक आंकड़ा मौजूद नहीं है. हालांकि, 2014 में 'द डिप्लोमैट' पत्रिका ने एक रिपोर्ट के हवाले से बताया था कि भारतीय सेना में 3 फ़ीसदी मुसलमान हैं और उसमें भी जम्मू-कश्मीर एंड लाइट इन्फ़ेंट्री में 50 फ़ीसदी मुसलमान हैं.
मेजर जनरल (रिटायर्ड) शशि अस्थाना कहते हैं कि भारतीय सेना में भर्ती जाति या धर्म के आधार पर नहीं होती है, सेना सिर्फ़ फ़िटनेस देखती है.
वो कहते हैं कि सेना में कोई आरक्षण नहीं है और अगर आपकी यूपी में भर्ती हो रही है तो आप चाहे गढ़वाली हों, कुमाऊंनी हों या मुसलमान हों कोई भी भर्ती में आ सकता है चाहे रेजिमेंट कोई भी हो, आपका चयन मेरिट से होता है, आप शारीरिक रूप से फ़िट हैं तो ही आपका चयन होगा.
मेजर जनरल (रिटायर्ड) शशि अस्थाना कहते हैं कि भारतीय सेना की कई रेजिमेंट में मुसलमान हैं और हर लड़ाई में मुसलमान सैनिकों ने अदम्य साहस का परिचय दिया है.
1965 के भारत-पाक युद्ध में जिस फ़र्ज़ी मुस्लिम रेजिमेंट के हथियार डालने की अफ़वाहें उड़ाई जा रही हैं, उसी युद्ध में क्वार्टर मास्टर हवलदार अब्दुल हमीद ने पाकिस्तान के चार से अधिक टैंक तबाह किए थे और उन्हें मरणोपरांत देश के शीर्ष सैन्य पुरस्कार परमवीर चक्र से नवाज़ा गया था.
बीबीसी हिंदी की फ़ैक्ट चेक टीम ने पाया है कि भारतीय सेना में स्वतंत्रता से पहले और बाद में कोई मुस्लिम रेजिमेंट नहीं थी और सोशल मीडिया पर फैलाए जा रहे दावे पूरी तरह झूठ हैं.