सी.सु.ब. की भूमिका
युद्ध की स्थिति में -:
- कम खतरे वाले क्षेत्रों में ड़टे रहना है जब तक कि मुख्य हमला एक विशेष क्षेत्र में विकसित नहीं होता है और यह महसूस किया जाता है कि स्थानीय स्थिति से निपटने के लिए सीमा सुरक्षा बल सक्षम है।
- सेना को आक्रामक कार्याें के लिए मुक्त करने के लिए युद्ध की स्थिति में भी सीमा सुरक्षा बल की यूनिटों को विशेष क्षेत्र में तैनात किया जा सकता है।
- यहां तक कि अगर बड़ा हमला होने का अंदेशा है और सीमा सुरक्षा बल इस तरह के हमले से निपटने में सक्षम नहीं है तो सेना से यह उम्मीद की जा सकती है कि वह सीमा सुरक्षा बल को तोपखाने या अन्य सहायता देकर मजबूत करे या सीमा सुरक्षा बल को उस क्षेत्र से हटाकर उसकी भूमिका से राहत दे।
क्या आप जानते है ?
- सीमा सुरक्षा बल प्रत्येक वर्श यू एन मिषन में अपने कार्मिकों को भेजकर इस अभियान में सहयोग करती है।
- मई-जुलाई 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान, सीमा सुरक्षा बल पर्वतों की चोटियों पर आर्मी के साथ सामंजस्य बिठाते हुए, देष की सुरक्षा में तैनात रही।
- सीमा सुरक्षा बल के कार्मिक विगत दो वर्शो से मणिपुर में आंतरिक सुरक्षा ड्यूटी में तैनात हैं तथा इन क्षेत्रों में इंसरजेंसी के विरूद्ध सफलतापूर्वक कार्रवाई कर रहे हैं।
- 26 जनवरी 2001 को गुजरात में आये भूकंप के दौरान सीमा सुरक्षा ने सबसे पहले पहुंच पर व्यथित लोगों की सहायता की थी।
- हाल ही में गुजरात में हुए साम्प्रदायिक उत्तेजना में, सीमा सुरक्षा बल ने लोगों के बीच जाकर उनमें मैत्री एवं भाइचारा को पुनःस्थापित किया।
- पाकिस्तान द्वारा हमारी योजना को विफल करने के लाख प्रयासों के बावजूद, सीमा सुरक्षा बल ने जम्मू एवं कष्मीर में सीमा पर तारबंदी लगाने का कार्य सफलतापूर्वक पूर्ण किया।
- सीमा सुरक्षा बल आर्मी के साथ सीमाओं की सुरक्षा करते हुए, पाकिस्तान के वर्तमान रूखे व्यवहार के दौरान, सीमा पर घुसपैठ को रोकने का कार्य करती है।