सेना की पोशाक पहनकर भारत को चेता गए जिनपिंग?`

Author : sainik suvidha
Posted On : 2024-11-26 02:54:36
15
Share On :

पीपल्स लिबरेशन आर्मी के 90वें स्थापना दिवस के मौके पर आर्मी परेड निकाली गई. चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग सैनिक पोशाक में इस परेड में शामिल हुए और चीन की ताक़त की हुंकार भरी.

उन्होंने कहा कि घुसपैठ करने वाली ताकतों से निपटने के लिए चीन पूरी तरह तैयार है. चीन के उत्तरी प्रांत इनर मोंगोलिया में आयोजित परेड में 12 हज़ार सैनिकों ने हिस्सा लिया और कई अत्याधुनिक हथियारों का प्रदर्शन किया गया.

'चीन के पास हैं मोबाइल मिसाइलें'

यह चीन के लिए दुनिया को ये बताने का मौक़ा था कि उनके पास कौन-कौन से अत्याधुनिक हथियार हैं. उन्होंने मिसाइलों का ख़ास तौर पर प्रदर्शन किया. इनमें परमाणु हथियार ले जाने वाली मिसाइलें हैं. मोबाइल मिसाइलें हैं जिन्हें आप ट्रक में ले जाकर दूसरी जगह से चलवा सकते हो.

इस दौरान सौ से ज़्यादा एयरक्राफ़्ट आसमान में घूम रहे थे. छह हज़ार से ज़्यादा टैंक-तोपें और दूसरे हथियार परेड में पेश किए गए, जिनमें से रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, क़रीब आधे इससे पहले दिखाए नहीं गए थे.

जिनपिंग ने कहा कि पीएलए किसी भी घुसपैठिए को हरा सकता है. ये बयान ऐसे समय में आया है जब डोकलाम में भारतीय सैनिक तैनात हैं और दोनों सेनाओं के बीच आमने-सामने वाली स्थिति है. चीन मानता है कि भारत की फौज़ उनकी ज़मीन पर घुस गई है.

उत्तर कोरिया की भी चुनौती

दूसरी तरफ़ उत्तर कोरिया ने मिसाइल छोड़ा है और उनका मिसाइल काफ़ी मज़बूत है. यहां तक कि अमरीका भी इससे थोड़ा घबराया हुआ है. जिनपिंग ने इन दोनों ही घटनाओं का ज़िक्र नहीं किया. लेकिन उनकी बातों से लगा कि वो दुनिया और अपने सैनिकों को ये संकेत दे रहे थे कि हम पूरी तरह तैयार हैं.

और यहां तक कि सिर्फ अपनी सीमा पर नहीं, हम चीन के बाहर भी अपनी शक्ति दिखाएंगे. क्योंकि जिनपिंग ने कहा कि दुनिया में अशांति बहुत है और शांति लाने के लिए दुनिया को चीन की ज़रूरत है. जिनपिंग ने कहा कि वो चीन का 'महान राष्ट्र' का सपना पूरा करके दिखाएंगे.

चीन के बारे में यह भी कहा जाता है कि उसका रक्षा बजट काफ़ी है. लेकिन चीन यह कहता है कि अमरीका के मुक़ाबले उसका रक्षा बजट काफ़ी कम है.

सवाल ये है कि आप रक्षा बजट का अंदाज़ा कैसे लगाएंगे. सेना के लिए जो रेलवे और सड़क जैसी चीज़ें बनाई जाती हैं, वे ऐसी दुर्गम पहाड़ी जगहों पर बनाई जाती हैं, जहां सेना के सिवा कोई नहीं जाता. उसको भी अगर आप रेलवे के बजट में गिनें, जहाज़ के बजट को भी सेना का बजट न मानें हैं तो ज़ाहिर है कि सेना का बजट छोटा नज़र आएगा.

ऐसे देश में जहां संसद को रबर स्टैंप माना जाता है, जहां संसद सवाल नहीं पूछती है, वहां सरकार कुछ भी कर सकती है. ये बात दूसरे देशों में संभव नहीं है.

Other Popular Blogs